बिहार में बर्यती का स्वागत तो ऐसे होता है कि - एक बार देख ना लीजिए आपका भी आंख चोंहरा जायेगा

बिहार मै जब बियाह होता है ना तो कुछ ऐसा होता है माहौल । एक बार देखिए तो पेट में हस्ते हस्ते बघा लग जायेगा ।




पोआर बिछा के दरी के ऊपर टेंट हाउस वाला उजरा गुलाबजामुन जैसा तकिया फेंका-फेंकी में अलग लेवल का आनन्द आता है. खिड़की से सन्न-सन्न पछिया बह रहा है आ खिड़की का एगो पल्ला गायब है. दीवार से पीठ लगाकर बैठिए त दीवार का आधा चूना झड़ जाता है. बाहर लड़के का फूफा लड़की के चच्चा से अलगे लड़ रहा है “बताइए ईहाँ दीशा-पैखाना का कोई बेवस्थे नहीं है.. हमारा लड़का कहाँ जाएगा.


स्कूल के गेट पर रिमझिम बैंड पार्टी का रंगरूट सब फिरंगी आर्मी जैसा ड्रेस पहिने ढोल-ताशा बजाए बेहाल पड़ा है. पिंपनी वाला अपना फेफड़ा का पूरा दम झोंक दे रहा है. आ स्टार गायक हाथ में आधा घण्टा से माइक लेकर खाली “रेडी वन टू थ्री, वन टू थ्री” कर रहा है. गाना शुरू किया “अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो दर पे सुदामा गरीब आ गया है.” उधर से लड़के का बाप गला फाड़ा “साला ताड़ी पी लिया है रस्ता में, अचार चटाओ इसको. अलबला गया है. कल पैसा काटेंगे तब बुझाएगा ससुरा के..” गायक होश में आ गया. अब पंद्रह मिनट से “झिमी झिमी झिमी आजा आजा आजा” पर इसका कैसेट अटक गया है.

उधर लड़का का दोस्त सब ललका ब्लेजर पर गोल्डस्टार का जूता पहीन के विधायक के तरह भौकाल में टहल रहा है. ई दोस्त सब के नज़र में जहां ऊ बरियाती आया है ऊ दुनिया का सबसे बेकार गांव है. जहां सुपर मार्केट नहीं है. रेस्टोरेंट नहीं है. एटीएम नहीं है. लैम्बोर्गिनी का शोरूमो नहीं है. क्लासिक का सिगरेट नहीं मिला है तो गोल्ड फ्लेक पीना पड़ रहा है. घरवैया सब इनका सब हीरोपनी समझ रहा है. लेकिन आडवाणी लेवल का बर्दाश्त किया हुआ है. एक रात का तो बात है विदा करो इनको.





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