कया आपको पता है..? गोल्फ की गेंद में इतने सारे गड्ढे क्यों होते हैं ।
किसी भी अन्य गेंद में ऐसे गडढे नहीं होते। चलिए आज आपको गोल्फ की गेंद से जुड़े इसी दिलचस्प
तथ्य के बारे में बताते हैं। यदि आप दूर से देखें तो ये छेद जैसे लगते हैं परंतु नजदीक से गोल्फ की गेंद को देखें तो आप पाएंगे कि ये दरअसल ऐसा नहीं होता। आप इन्हें डिम्पल्स यानी नन्हे-नन्हे गड्ढे कह स-कते हैं। जब बॉल पर ठीक प्रकार से प्रहार किया जाए तो ये गड्डे उसे हवा में सीधे उड़ने में सहायता क-रते हैं और ये गड्ढे ही हवा की प्रतिरोधकता को भी कम करते हैं। यही कारण है कि इन गेंदों में दूर तक जाने की शक्ति होती है। आपने अवश्य गौर किया होगा कि गोल्फ की गेंद बेसबाल या टैनिस की गेंद से लगभग आधे आकार की होती है।
गोल्फ की गेंद का भार लगभग 45.9 ग्राम होता है और इसका व्यास लगभग 4.11 सैंटीमीटर होता है। पहले ये गेंदें भारी चमड़े से बनाई जाती थीं और इनमें पंख भरे जाते थे लेकिन आजकल यह गेंद कार्क की एक गुठली के गिर्द रबड़ की पट्टियों को कस कर लपेट क-र बनाई जाती है जिस पर रबड़ जैसा एक सख्त पदार्थ चढ़ाया जाता है। इन गड्ढों के कारण अच्छे खि-लाड़ी गोल्फ की गेंद को 275 मीटर या इससे भी दूर तक मार सकते हैं। माना जाता है कि गोल्फ के खेल की खोज लगभग 17वीं सदी में यूरोप में हुई थी जिसके बाद यह खेल अमेरिका में लोकप्रिय हुआ और फिर वहां से विश्वभर में प्रचलित हुआ।
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