शहरी इलाकों में मां कई कारणों से बच्चों को अपना दूध नहीं दे पाती हैं
विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात शिशुओं के लिए मां के दूध से बेहतर और कोई आहार नहीं है क्योंकि मां के दूध में पर्याप्त पोषक तत्व पाए जाते हैं। मां का दूध अमृत समान होता है। यह धारणा गलत है कि गाय का दूध नवजात शिशुओं के लिए मां के दूध का विकल्प हो सकता है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर नवजात शिशुओं को गाय का दूध दिया जाए तो उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई जटिलताएं हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि कई घरों में, खास कर शहरी इलाकों में मां कई कारणों से बच्चों को अपना दूध नहीं दे पाती हैं। इन कारणों में जाग -रूकता का अभाव, काम का दबाव और दूध पिलाने के लिए सुविधा का अभाव आदि प्रमु -ख हैं।
मस्तिष्क एवं बोध विकास तथा सम्पूर्ण विकास के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व मां के दूध में पाए जाते हैं।
भारत में पिछले दशक में इस दिशा में सकारात्मक चलन देखा गया है। राष्ट्रीय परिवार स्वा -स्थ्य सर्वे के अनुसार 55 प्रतिशत नवजात शिशुओं को शुरूआती 6 माह के दौरान मां का दूध ही पिलाया गया। नीदरलैंड के यूट्रेक्ट स्थित न्यूट्रीशिया रिसर्च में ह्यूमन मिल्क रिसर्च में आर.एंड डी. निदेशक डा. बेनर्ड स्टैक ने बताया कि नवजात शिशुओं के मस्तिष्क एवं बोध विकास तथा सम्पूर्ण विकास के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व मां के दूध में पाए जाते हैं। मां का दूध नवजात शिशुओं को संक्रमण से तथा अतिसार, एलर्जी, अस्थमा जैसी कई तरह की बीमारियों से भी बचाता है।
बच्चों को अपना दूध पिलाने से महिलाओं को अंडाशय और स्तन कैंसर होने का खतरा कम होता है
बच्चों को अपना दूध पिलाने का मां पर भी बड़ा ही सकारात्मक असर होता है। ऐसी महिला -ओं को अंडाशय और स्तन कैंसर होने तथा उपापचय संबंधी तथा कार्डियो -वैस्कुलर से जुड़ी विभिन्न बीमारियां होने का खतरा काफी कम होता है। इससे रजोनिवृत्ति के बाद की समस्याओं से भी उनका बचाव होता है। शिशु के लिए गाय के दूध से बचें: दूध में कैसीन नामक तत्व या जाता है जिसमें प्रोटीन की उच्च मात्रा होती है। अधिकतर शिशुओं के लिए। इसे पचाना मुश्किल होता है और उनके गुर्दो पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।पास्चु रीकरण के बाद गाय के दूध से लौह, जिंक और आयोडिन जैसे माइक्रो न्यूट्रीएिन्ट खत्म हो जाते हैं। बच्चों को गाय का दूध तब देना चाहिए जब वे एक साल के हो चुके हों। गाय के दूध से होने वाली एलर्जी छोटे बच्चों में होने वाली एक आम फूड एलर्जी का मुख्य कारण है।
यह फूड एलर्जी शुरूआती 6 माह में अपनी जड़ें जमा लेती है। एलर्जी समय के साथ बढ़ती जाती है और बच्चों को इससे कई तरह की फूड एलर्जी, अस्थमा या'एलर्जिक राइनीटिस' होने का खतरा बना रहता है।
मां के दूध के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने की कोशिश
मां के दूध के महत्व के प्रति सभी को जागरूक करने के लिए हरसंभव कोशिश की जा रही
है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर साल करीब एक लाख बच्चे उन बीमारियों की वजह से मौत के मुंह में चले जाते हैं जिन्हें मां के दूध के जरिए रोका जा सकता है। इसमें कहा गया है कि मां के दूध से वंचित रहने की वजह से होने वाली मौत
और अन्य नुक्सान की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर करीब 14 अरब डालर का बोझ पड़ सकता है।
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